भव..यूं तो होना ही भव है। कुछ भी...अच्छा और बुरा। ओलाचना और तारीफ। सब भव हो सकते हैं। देशवासियों से देश सत्ता, नियम, कायदे भी भव। कुछ न हो तो अशक्य...
nice one.
bhaut sunder bhav
कम शब्दों में बड़ी बात - प्रस्तुतीकरण भी बहुत अच्छा
खूबसूरत!
इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
प्रेम बोधिवृक्ष????क्यों नही ???वो तो अपने उदात्त रूप मे ईश्वर बन जाता है.देह से परे जब जब प्रेम पनपा 'बोद्धिवृक्ष' की तरह ही बना.'तेरे ईश्क की उम्र दराज हो'तेरे??? माफ करना बाबु!
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना, बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
बहुत ही अच्छे भाव...बधाईhttp://veenakesur.blogspot.com/
nice one.
जवाब देंहटाएंbhaut sunder bhav
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में बड़ी बात - प्रस्तुतीकरण भी बहुत अच्छा
जवाब देंहटाएंखूबसूरत!
जवाब देंहटाएंइस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंप्रेम बोधिवृक्ष????
जवाब देंहटाएंक्यों नही ???
वो तो अपने उदात्त रूप मे ईश्वर बन जाता है.
देह से परे जब जब प्रेम पनपा 'बोद्धिवृक्ष' की तरह ही बना.
'तेरे ईश्क की उम्र दराज हो'
तेरे??? माफ करना बाबु!
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना, बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे भाव...बधाई
जवाब देंहटाएंhttp://veenakesur.blogspot.com/