भव..यूं तो होना ही भव है। कुछ भी...अच्छा और बुरा। ओलाचना और तारीफ। सब भव हो सकते हैं। देशवासियों से देश सत्ता, नियम, कायदे भी भव। कुछ न हो तो अशक्य...
लिखने वाले तो लिखकर चले जाते हैं दोस्त, मज़ा तो तब है जब कोई उन-सा या उनसे बेहतर लिखने वाला इन पंक्तियों को फिर से जिंदा करे... जैसा तुमने किया है... बहुत खूब... शुभकामनाएं!!!शुभ भाव रामकृष्ण गौतम
लिखने वाले तो लिखकर चले जाते हैं दोस्त, मज़ा तो तब है जब कोई उन-सा या उनसे बेहतर लिखने वाला इन पंक्तियों को फिर से जिंदा करे... जैसा तुमने किया है... बहुत खूब... शुभकामनाएं!!!
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रामकृष्ण गौतम