सोमवार, 2 अगस्त 2010

लज्जा

दौड़ है आधुनिकता की साडी में लज्जा आती है
जींस बुलाते आकर्षण साडी तो दूर भागती है
पिछड़ापन है गांवों मैं अगड़े तो शहर बसाते हैं
छोड़कर पिछली पीढ़ी को चौपाटी को जाते हैं
नैनों की नीलम घाटी जब रस घन से छा जाती है
कवी समर्पित हुए थे वो फिर भी लज्जा आ जाती है
दूध मलाई लस्सी से पिछड़ेपन की बू आती है
पेप्सी पिज्जा बर्गर से आधुनिकता आ जाती है

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