सोमवार, 2 अगस्त 2010

फूल किधर जाएगा

वो तो ख़ुश्बू है हवाओं में बिखर जाएगा
मसला फूल का है फूल किधर जाएगा
— परवीन शाकिर —

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें