सोमवार, 23 अगस्त 2010

कहते हैं
आज भी जीवित है
बोधिवृक्ष
खड़ा है वैसे ही
सदियों के बाद भी
हम-तुम
रहेंगे-न रहेंगे
हमारा प्रेम रहेगा
बोधिवृक्ष की तरह।

8 टिप्‍पणियां:

  1. कम शब्दों में बड़ी बात - प्रस्तुतीकरण भी बहुत अच्छा

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  2. इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  3. प्रेम बोधिवृक्ष????
    क्यों नही ???
    वो तो अपने उदात्त रूप मे ईश्वर बन जाता है.
    देह से परे जब जब प्रेम पनपा 'बोद्धिवृक्ष' की तरह ही बना.
    'तेरे ईश्क की उम्र दराज हो'
    तेरे??? माफ करना बाबु!

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  4. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द रचना, बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  5. बहुत ही अच्छे भाव...बधाई

    http://veenakesur.blogspot.com/

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